असम सरकार और एनडीडीबी ने राज्य में समग्र डेरी विकास के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए

असम सरकार और एनडीडीबी ने राज्य में समग्र डेरी विकास के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए

असम के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. हेमंता बिस्वा सरमा, माननीय केंद्रीय मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला और असम के माननीय मंत्री श्री अतुल बोरा की उपस्थिति में एनडीडीबी के अध्यक्ष एवं असम सरकार के अपर मुख्य सचिव ने एमओयू पर हस्ताक्षर किए।

अहमदाबाद, 7 जनवरी, 2022: डेरी  फार्मिंग के माध्यम से असम के ग्रामीण परिदृश्य को बदलने के विजन के साथ, असम सरकार और राष्ट्रीय डेरी  विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने डेरी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए 7 जनवरी, 2022 को गुवाहाटी में श्रीमंत सांकरदेवा अंतर्राष्ट्रीय सभागार में एक संयुक्त उद्यम के निर्माण हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए । इस अवसर पर पूरबी डेरी  विस्तार परियोजना का शिलान्यास भी किया गया।

एनडीडीबी के अध्यक्ष श्री मीनेश शाह और असम सरकार के सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री मनिंदर सिंह ने इस एमओयू पर हस्ताक्षर किए जिसमें असम के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा, माननीय केंद्रीय मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला, माननीय कृषि, एएचवीडी एवं सहकारिता मंत्री, असम सरकार श्री अतुल बोरा, मिजोरम के माननीय पशुपालन एवं पशु चिकित्सा मंत्री, डॉ के बीछुआ तथा पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार के सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी उपस्थित रहे । इस कार्यक्रम में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, संबंधित एजेंसियों और डेरी  किसानो ने भी भाग लिया।

अपने संबोधन में डॉ सरमा ने कहा कि इस संयुक्त उद्यम का लक्ष्य हर दिन 10 लाख लीटर से अधिक दूध को हैंडल और मूल्य वर्धन करने के लिए दूध प्रसंस्करण क्षमताओं का सृजन करना होगा । इससे न केवल 1.75 लाख से अधिक किसानों को अपनी आय में वृद्धि करने में मदद मिलेगी,बल्कि दूध  की मूल्य श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर अधिक रोजगार भी सृजित होंगे। संयुक्त उद्यम पूरे असम में छह डेरी प्रसंस्करण सुविधाओं की स्थापना करेगा, जिसमें 4,100 से अधिक डेरी  सहकारी समितियों के दूध को प्रोसेस, पैक और बिक्री की जाएगी।

श्री रूपाला ने कहा कि इस नई पहल से स्थानीय डेरी किसानों को अधिक लाभ होगा, जो माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित किसानों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य की दिशा में एक कदम है । उन्होंने आगे कहा, इस डेरी विकास परियोजना के हिस्से के रूप में, राज्य के डेरी  किसानों को अधिक लाभ सुनिश्चित करने के लिए असम में  15,000 से अधिक दूध उत्पादन करने वाली गिर गायों को उपलब्ध कराया जाएगा। इस योजना में असम के पशु चारे और साइलेज निर्माण के लिए बुनियादी ढांचे की स्थापना करने की भी परिकल्पना की गई है। उन्होंने तकनीक के माध्यम से पशुओं के नस्ल सुधार करने की आवश्यकता पर बल दिया।

श्री बोरा ने कहा कि असम सरकार भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं के सहयोग से संबंधित विभागों के माध्यम से आयोजित होने वाली गतिविधियों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। एनडीडीबी द्वारा इस संयुक्त उद्यम को निर्देशित, मेंटरिंग और प्रबंधित किया जाएगा ।

श्री चतुर्वेदी ने बताया कि भारत सरकार डेरी के पर्यावरणीय, पोषण संबंधी और सामाजिक-आर्थिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए डेरी क्षेत्र में स्थिरता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। तकनीकी हस्तक्षेप और नवीन प्रयोगों से न केवल उत्पादकता में सुधार होगा, बल्कि उद्यमिता को भी बढ़ावा मिलेगा । उन्होंने कहा कि असम में चारे की खेती के लिए ग्रोथ हब बनने की क्षमता है, जिससे अंततोगत्वा चारे की कमी वाले राज्यों में चारे की जरूरत को पूरा किया जा सकता है।

श्री शाह ने कहा कि एनडीडीबी सेक्स्ड सॉर्टेड सीमन, आहार संतुलन कार्यक्रम, एथनो वेटनरी मेडिसिन और खाद प्रबंधन परियोजनाओं जैसे तकनीकी इनोवेशन की शुरूआत करेगी। एनडीडीबी और असम सरकार ने डेरी  मूल्य श्रृंखला में इनोवेशन को व्यापक स्तर पर लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जिससे वर्तमान स्तरों पर डेरी क्षेत्र का विकास हुआ है ।

असम सरकार के सहकारिता विभाग के अपर मुख्य सचिव श्री मनिंदर सिंह ने कहा कि संयुक्त उद्यम का संचालन आत्मनिर्भर होगा, जिसमें सहकारी डेरी  के विकास के लिए राज्य और केंद्र सरकारों की विभिन्न योजनाओं के तहत प्रारंभिक बुनियादी ढांचे को वित्तीय सहायता और सहयोग प्रदान की जाएगी।

कार्यक्रम के दौरान, डॉ सरमा और श्री रूपाला ने विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित असम कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण परिवहन परियोजना (एपीएआरटी) के अंतर्गत पूरबी  डेरी  विस्तार परियोजना की आधारशिला भी रखी । विस्तार परियोजना के अंतर्गत, पूरबी  डेरी  की प्रसंस्करण क्षमता को मौजूदा 60,000 लीटर प्रतिदिन से 1.5 लाख लीटर दूध प्रतिदिन तक बढ़ाया जाएगा। गुवाहाटी के पंजाबाड़ी में संयंत्र के विस्तार से, पूरबी डेरी उत्पादों की वर्तमान उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी तथा देशी मिठाई, आइसक्रीम, फ्लेवर्ड मिल्क आदि नए उत्पादों की शुरुआत हो सकेगी।

भोजनावकाश के बाद के सत्र के दौरान, श्री रूपाला ने विभिन्न पूर्वोत्तर राज्यों के मंत्रियों और प्रतिनिधियों, सरकारी अधिकारियों, उद्यमियों और किसानों के साथ एक इंटरैक्टिव सत्र की अध्यक्षता की। इस सत्र का उद्देश्य भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी विभाग की संशोधित और नवीन योजनाओं के लाभों के बारे में जागरूकता पैदा करना और अवगत कराना है । इसमें किसानों को बेहतर आजीविका प्रदान करने और पूर्वोत्तर क्षेत्र की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास को सशक्त बनाने में मदद करने के लिए विभिन्न अवसरों पर प्रकाश डाला गया ।

 एनडीडीबी 2008 से पश्चिम असम दूध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड का प्रबंधन कर रही है और वर्तमान में, वामूल एक सफल डेरी सहकारी के अनुकरणीय मॉडल के रूप में  है। WAMUL का अब तक का प्रबंधन और उसकी सफलता भी पारदर्शिता और निरंतरता के महत्व को दर्शाता है- चाहे वह दूध संकलन हो, उत्पादकों के बैंक खातों में सीधे भुगतान और बाजारों को स्थापित करने और विस्तार करना हो । पिछले कुछ वर्षों में, वामूल उपभोक्ताओं को गुणवत्ता आधारित मूल्य वर्धित उत्पादों को उपलब्ध कराने के अलावा, डेरी  किसानों को लाभकारी बाजार सुनिश्चित करने उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। संघ ने अपने पंजीकृत ब्रांड नाम “पूरबी” के तहत हर दिन लगभग 73 लीटर पैक्ड लिक्विड दूध और दूध के समतुल्य उत्पादों की बिक्री हासिल की है ।