असम के ग्रामीण दूध उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए एनडीडीबी प्रतिबद्ध है: मीनेश शाह

असम सरकार ने एनडीडीबी द्वारा वामूल के प्रबंधन को अगले 5 वर्षों के लिए बढ़ाया
असम के ग्रामीण दूध उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए एनडीडीबी प्रतिबद्ध है: मीनेश शाह

 
7 अगस्त 2021, आणंद: असम में डेरी उद्योग और ग्रामीण आजीविका की गतिविधियों को गति देने के उद्देश्य से, श्री मीनेश शाह, अध्यक्ष, राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) ने गुवाहाटी में 6 अगस्त 2021 को असम के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. हिमंता बिस्वा सरमा से मुलाकात की।
 
डॉ. सरमा को असम में डेरी संस्थानों के विकास की उम्मीद है । माननीय मुख्यमंत्री ने डेरी उद्योग के लिए बुनियादी ढांचे को विकसित करने और सेक्स सॉर्टेड सीमन तथा भ्रूण प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुधारू पशुओं की उत्पादकता में वृद्धि करने के नए उपायों को अपनाने में गहरी रुचि दिखाई। उन्होंने यह आशा व्यक्त की कि एनडीडीबी के हस्तक्षेप से असम के ग्रामीण दूध उत्पादकों के हितों की रक्षा होगी और ग्रामीण परिवारों में आवश्यक बदलाव आएगा ।
 
अध्यक्ष, एनडीडीबी ने असम की डेरी संस्थाओं को आवश्यक सहायता उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया ताकि वे अपने सदस्यों को बेहतर सेवा प्रदान कर सकें । एनडीडीबी और इसकी सहायक कंपनियां पहले से ही असम में डेरी विकास की गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं। एनडीडीबी हमेशा सहकारी मूल्यों के प्रति ईमानदार रहने वाली संस्थाओं का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध रही है । श्री शाह ने श्री अतुल बोरा, कृषि, बागवानी, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा, सीमा क्षेत्र विकास, असम समझौता कार्यान्वयन, सहकार मंत्री, असम सरकार से भी मुलाकात की और डेरी विकास के विभिन्न पहलुओं के बारे में चर्चा की तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए एक रोड मैप तैयार किया।
 
असम सरकार ने एनडीडीबी से पश्चिम असम सहकारी दूध संघ (वामूल) का प्रबंधन करने का अनुरोध किया था, जो बंद होने के कगार पर था । एनडीडीबी ने 2008 में इसका प्रबंधन अपने हाथों में लिया था। डेरी सहकारी संस्था को पुनर्जीवित करने में एनडीडीबी द्वारा किए गए प्रयासो के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए असम सरकार ने 5 वर्षों की अवधि के लिए एनडीडीबी द्वारा इसके प्रबंधन को अनुमोदित कर दिया है। इस संबंध में 6 अगस्त 2021 को एक समझौते पर हस्ताक्षर भी किए गए ।
 
वर्तमान में, वामूल 13,916 डेरी किसानों से प्रतिदिन औसतन 41,000 किलोग्राम दूध संकलित करता है। आज, ब्रांड "पूरबी" प्रतिदिन लगभग 64,000 लीटर दूध की बिक्री करता है । हालांकि, कोविड 19 महामारी के कारण इसके बाजार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, फिर भी वामूल ने रु. 120 करोड़ (31 मार्च 2021 तक) का बिक्री कारोबार हासिल किया है।